PSU कंपनी National Hydroelectric Power Corporation ने बीकानेर स्थित 300 मेगावॉट करणीसर सौर परियोजना का 85.72 मेगावॉट अंतिम चरण 10 अक्टूबर 2025 को ट्रायल रन से पूरा किया, जिससे पूरी क्षमता वाणिज्यिक संचालन के लिए तैयार हो गई. अब COD और 25-वर्षीय पावर यूसेज एग्रीमेंट शुरू करने हेतु PSERC तथा PSPCL की मंजूरियां लंबित हैं.
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परियोजना का अपडेट
PSU कंपनी National Hydroelectric Power Corporation को 10 अक्टूबर 2025 को पाँचवें और अंतिम चरण के सफल ट्रायल रन का प्रमाणपत्र मिला, जिससे 300 मेगावॉट की पूरी क्षमता को “कर्मशियल ऑपरेशन के लिए तैयार” घोषित किया गया. यह कदम एनएचपीसी के नवीकरणीय पोर्टफोलियो विस्तार में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि अब परियोजना से उत्पादन का स्थायी ऑफटेक तय है और राजस्व की दृश्यता बढ़ती है. नियामकीय अनुमोदन मिलते ही COD की औपचारिक शुरुआत होगी और बिक्री का बिलिंग चक्र सक्रिय हो जाएगा, जिससे नकदी प्रवाह पर सकारात्मक असर आएगा.
परियोजना की चरणबद्ध प्रगति और समयरेखा
परियोजना को चरणों में आगे बढ़ाया गया. 12 अप्रैल 2025 को 107.14 मेगावॉट हिस्से का वाणिज्यिक परिचालन शुरू हुआ था. 30 जून 2025 तक एक और 53.57 मेगावॉट चरण सहित संचयी 214.28 मेगावॉट क्षमता कमीशन की जा चुकी थी. शेष 85.72 मेगावॉट का ट्रायल रन समय पर पूरा कर कंपनी ने सितंबर–अक्टूबर 2025 की अपनी घोषित समय-सीमा हासिल की. समय पर निष्पादन से यह संकेत मिलता है कि साइट तैयारी, मॉड्यूल इंस्टॉलेशन, स्ट्रिंग इन्वर्टर, स्काडा और ग्रिड सिंक्रोनाइजेशन जैसी प्रक्रियाएं योजनानुसार चलीं.
तकनीकी और लागत प्रोफाइल
यह परियोजना MNRE की CPSU स्कीम (फेज-II, ट्रेंच-III) के तहत स्थापित की गई है. अनुमानित प्रथम-वर्ष उत्पादन 749.09 मिलियन यूनिट है, जिसका क्षमता उपयोग कारक 28.5% रखा गया है. ग्रिड कनेक्टिविटी Bikaner-II सबस्टेशन से है, जिसके लिए 220 kV की लगभग 21 किमी ओवरहेड ट्रांसमिशन लाइन बनाई गई. डीसी:एसी अनुपात 1.5 रखने से बेहतर ऊर्जा पकड़ने की संभावना रहती है, खासकर उच्च सौर विकिरण के घंटों में. परियोजना लागत लगभग ₹1,677.12 करोड़ अनुमानित है; प्रति मेगावॉट लागत का मोटा संकेत ≈₹1,677.12÷300=₹5.59\approx ₹1{,}677.12 \div 300 = ₹5.59≈₹1,677.12÷300=₹5.59 करोड़/मेगावॉट देता है, जो बड़े पैमाने की सौर परियोजनाओं के अनुरूप है.
राजस्व मॉडल और नियामकीय स्थिति
इस परियोजना की बिजली का ऑफटेक एकमात्र लाभार्थी पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड करेगा, जो 25-वर्षीय पावर यूसेज एग्रीमेंट के तहत तय है. इसका मतलब है कि मांग का जोखिम कम है और राजस्व बहाव दीर्घकाल के लिए बंधा हुआ है. फिलहाल, औपचारिक COD और PUA की प्रभावी शुरुआत PSERC तथा PSPCL की अंतिम मंजूरियों पर निर्भर है. मंजूरी के बाद, ऊर्जा आपूर्ति की मीटरिंग और बिलिंग नियमित होगी, और कंपनी नियत अवधि के अनुसार भुगतान चक्र में आ जाएगी, जो कार्यशील पूंजी की योजना को स्पष्ट बनाती है.
क्षमता जोड़ का संचालन पर प्रभाव
300 मेगावॉट का जोड़ NHPC के पारंपरिक हाइड्रो-केंद्रित पोर्टफोलियो को विविध बनाता है. सौर उत्पादन हाइड्रोलॉजी पर निर्भर नहीं होता, इसलिए मौसमी उतार-चढ़ाव का प्रभाव सीमित रहता है. बीकानेर क्षेत्र की ऊंची सौर विकिरण क्षमता के कारण CUF 28.5% का लक्ष्य यथार्थवादी माना जा सकता है, जिससे वार्षिक उत्पादन का अनुमान ठोस रहता है. उच्च डीसी:एसी अनुपात और पास के ग्रीड नोड से कनेक्टिविटी तकनीकी नुकसान को सीमित करने में मदद करते हैं और यह दीर्घकालिक प्रदर्शन स्थिरता को समर्थन देता है.
वित्तीय स्थिति और नकदी प्रवाह पर असर
कुल लागत और 25-वर्षीय ऑफटेक के संयोजन से परियोजना में नकदी प्रवाह की दृश्यता बेहतर होती है. नियामकीय मंजूरी के बाद राजस्व मान्यता शुरू होते ही स्थिर बिलिंग आएगी, जिससे सेवा ऋण, परिचालन खर्च और रखरखाव पर नियोजित खर्च सरल होगा. बड़े पैमाने की सौर परियोजनाओं में वार्षिक ओएंडएम लागत अपेक्षाकृत सीमित रहती है, जो EBITDA मार्जिन को सहारा देती है. ग्रिड उपलब्धता और सबस्टेशन अपटाइम अच्छे रहे तो प्लांट के पहले वर्ष की ऊर्जा डिलीवरी लक्ष्यों के अनुरूप रहने की संभावना बढ़ती है.
शेयर के संदर्भ में प्रासंगिकता
परियोजना का समय पर क्रियान्वयन शेयरधारकों के लिए सकारात्मक संकेत है, क्योंकि इससे एनएचपीसी की नवीकरणीय आय का हिस्सा बढ़ेगा और राजस्व मिश्रण संतुलित होगा. दीर्घकालिक एग्रीमेंट के कारण आय में उतार-चढ़ाव सीमित रहता है, जो वैल्यूएशन मल्टीपल पर सहायक हो सकता है. निकट अवधि में PSU स्टॉक की चाल अनुमोदनों के समय, ग्रिड सिंक्रोनाइजेशन की स्थिरता और प्रथम-वर्ष के CUF प्रिंट पर निर्भर रहेगी. नीति मोर्चे पर CPSU स्कीम और राज्य स्तर पर ओपन एक्सेस/ट्रांसमिशन से जुड़े फैसले भी निवेश धारणा को दिशा दे सकते हैं.
आगे का रास्ता और जोखिम
मुख्य ट्रिगर PSERC व PSPCL की अंतिम मंजूरी है, जिसके बाद COD प्रभावी होगा और राजस्व प्रवाह शुरू होगा. उसके बाद पहला रबी–गर्मी चक्र वास्तविक CUF और ऊर्जा आपूर्ति की परीक्षा लेगा. संभावित जोखिमों में उच्च तापमान के दौरान मॉड्यूल डिग्रेडेशन, धूल के कारण सोइलिंग लॉस, अनपेक्षित ग्रिड कंजेशन और ओएंडएम की समयबद्धता शामिल हैं. कंपनी ने चरणबद्ध कमीशनिंग में समय-सीमा निभाई है, इसलिए निष्पादन अनुशासन मजबूत दिखता है; अब ध्यान संचालन की विश्वसनीयता और नियामकीय अनुपालन पर रहेगा, ताकि परियोजना से अपेक्षित दीर्घकालिक स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति और स्थिर राजस्व लक्ष्य हासिल हो सकें.
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