दो PSU कोल इंडिया और इरकॉन ने रेल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए एक नॉन‑बाइंडिंग MoU पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे कोयला ढुलाई नेटवर्क मजबूत होने की उम्मीद है और दोनों स्टॉक्स पर नजर बनी रहेगी। बुधवार को कोल इंडिया का शेयर 0.69% गिरकर ₹382.05 पर बंद हुआ, जबकि साझेदारी का फोकस CIL और उसकी सहायक कंपनियों के लिए रेल नेटवर्क विकसित करना है
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PSUs की साझेदारी का मतलब
अक्टूबर 2025 में PSUs COAL INDIA LIMITED और सरकारी इंजीनियरिंग-कंस्ट्रक्शन कंपनी IRCON International Limited ने रेल इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए समझौता ज्ञापन (MoU) साइन किया है। इस समझौते का मुख्य उद्देश्य कोल इंडिया और उसकी सहायक कंपनियों के लिए नया रेल नेटवर्क तैयार करना, कोल ट्रांसपोर्टेशन को तेज़ बनाना और लॉजिस्टिक नेटवर्क को मजबूती देना है। यह नॉन-बाइंडिंग समझौता है, यानी इसमें अभी निवेश और काम की डिटेल्स पूरी तरह फाइनल नहीं है, लेकिन यह कोयला सेक्टर के लॉजिस्टिक्स में बदलाव की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
COAL INDIA का ताजा प्रदर्शन
PSU कंपनी कोल इंडिया के शेयर 8 अक्टूबर को 0.69% गिरकर 382.05 रुपये पर बंद हुए। पिछले 6 महीने में स्टॉक में खास मूवमेंट नहीं दिखा। वहीं, एक साल में इसमें 22.32% की गिरावट दर्ज की गई है। कंपनी का मार्केट कैप 2.35 लाख करोड़ रुपये रहा। जून 2025 तिमाही में कोल इंडिया का कंसॉलिडेटेड नेट प्रॉफिट 20.1% गिरकर 8,734 करोड़ रुपये और ऑपरेशन से रेवेन्यू 4.4% गिरकर 35,842 करोड़ रुपये रहा। इन आंकड़ों से कंपनी के लिए चुनौतीपूर्ण कारोबारी हालात दिखते हैं, लेकिन लॉजिस्टिक्स सुधार जैसे नए कदम भविष्य के लिए सकारात्मक संकेत हैं।
IRCON का हाल
PSU कंपनी इरकॉन इंटरनेशनल के शेयर 1.74% गिरकर 179.43 रुपये पर बंद हुए। इस स्टॉक ने पिछले छह महीने में 20.65% रिटर्न दिया, लेकिन एक साल की अवधि में 17.86% की गिरावट देखी गई। कंपनी का मार्केट कैप 16,850 करोड़ रुपये रहा। जून 2025 तिमाही में IRCON का शुद्ध लाभ 26.5% घटकर 164.5 करोड़ रुपये और ऑपरेशन से रेवेन्यू 21.9% घटकर 1,786 करोड़ रुपये रहा, जबकि EBITDA में भी लगभग 20% की कमी आई। फिर भी मार्जिन लगभग 11% के आसपास स्थिर दिखा।
साझेदारी के असर
यह साझेदारी PSU कंपनी कोल इंडिया के कोयला ढुलाई नेटवर्क को और मजबूत करेगी। देश भर की खान परियोजनाओं को रेल नेटवर्क से जोड़ने और माल ढुलाई को तेज और सस्ता बनाने की दिशा में IRCON की तकनीकी विशेषज्ञता फायदेमंद मानी जा रही है। इस पहल से कोयला उत्पादन और सप्लाई चेन में सुधार होगा, जिससे ऊर्जा सेक्टर की जरूरतों को समय पर पूरा किया जा सकेगा। सरकारी ऊर्जा नीति के तहत लॉजिस्टिक्स में निवेश को प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे कोल इंडिया और IRCON जैसे पीएसयू कंपनियों की लंबी अवधि की प्रासंगिकता बनी रहेगी।
बाजार में स्टॉक्स की चाल
MoU के बाद दोनों PSUs कंपनियों के शेयरों पर निवेशकों की नजर बनी हुई है। CIL का हालिया कारोबार मंद जरूर है, लेकिन यह भारत की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक और सरकारी सपोर्ट के चलते मजबूत कंपनी है। लॉजिस्टिक्स बढ़ाने से इसकी कोल डिस्पैचिंग क्षमता बढ़ेगी जिसका खुदरा कारोबार और बिजली कंपनियों पर सीधा असर पड़ेगा। वहीं, IRCON का ऑर्डर बुक इस तरह के बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स से बढ़ सकता है जिससे कंपनी को आने वाले सालों में बेहतर काम के मौके मिलेंगे।
आगे की संभावनाएं
यह समझौता अभी शुरुआती स्तर पर है, विस्तृत टाइमलाइन, निवेश का आकार और वास्तविक टेंडरिंग प्रक्रिया आने वाले महीनों में तस्वीर साफ करेगी। उम्मीद की जा रही है कि रेल ढुलाई के ये प्रोजेक्ट्स कोल इंडिया की डिलीवरी और सप्लाई चेन को ज्यादा सुचारु बना सकते हैं, जिससे ऑपरेशन कॉस्ट घटेगी और सेक्टर में प्रतिस्पर्धा की संभावना बढ़ेगी। बाजार में निवेशक ऐसे कारपोरेट ऐक्शन और सेक्टरल सुधारों पर करीबी नजर रखेंगे
निवेशकों के लिए संकेत
निवेशक दोनों PSU कंपनियों के क्वार्टरली नतीजों, ऑर्डर बुक अपडेट और लॉजिस्टिक प्रोजेक्ट्स की प्रगति पर नजर रखें। रेल नेटवर्क विस्तार जैसी पहलों से स्टॉक्स में मिड और लॉन्ग टर्म में पॉजिटिव ट्रेंड बन सकता है, बशर्ते कंपनियां अपनी ऑपरेशनल एफिसिएंसी और रेवेन्यू ग्रोथ में स्थिरता ला पाएं।
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