Suzlon की 5.7 GW ऑर्डर बुक ने बढ़ाई रफ्तार, FY26 में रिकॉर्ड ग्रोथ की उम्मीद, जाने पूरी खबर……

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Suzlon का निकट–मध्यम अवधि का आउटलुक डेटा‑समर्थित रूप से अनुकूल दिखता है, जिसकी नींव 5.7 GW ऑर्डर बुक, शुद्ध नकदी स्थिति और उच्च निष्पादन रन‑रेट पर आधारित है। FY25 और Q1 FY26 में राजस्व‑लाभप्रदता का सुधार तथा बड़े एंकर ऑर्डर्स मध्यम अवधि की दृश्यता को मजबूत करते हैं।

ऑर्डर बुक और निष्पादन

Q1 FY26 के अंत तक Suzlon की ऑर्डर बुक 5.7 GW रही, जिसमें तिमाही के दौरान 1 GW की नई बुकिंग शामिल है। इस बुकिंग में 75% हिस्सा C&I और PSU ग्राहकों का है। कंपनी ने इस तिमाही में 444 MW की डिलीवरी दर्ज की, जो इसकी निष्पादन क्षमता को दर्शाती है। जून 2025 तक कंपनी की शुद्ध नकदी स्थिति ₹1,620 करोड़ थी, जो वित्तीय स्थिरता का संकेत है।

Suzlon Energy का वित्तीय प्रदर्शन

Q1 FY26 में Suzlon की कुल आय ₹3,165.19 करोड़ रही, जो पिछले वर्ष की इसी तिमाही की तुलना में 54.8% अधिक है। लाभप्रदता में भी सुधार देखा गया, जहां कर से पूर्व लाभ (PBT) ₹459.23 करोड़ रहा और कर के बाद लाभ (PAT) ₹324.32 करोड़ दर्ज हुआ। यह PAT पिछले वर्ष की तुलना में 7.3% अधिक है। प्रति शेयर आय (EPS) ₹0.20 रही, जो पिछली तिमाहियों के स्तर पर बनी हुई है।

नवीनतम बाजार स्थिति

7 अक्टूबर 2025 को दोपहर तक Suzlon Energy का शेयर मूल्य लगभग ₹54.3 के आसपास ट्रेड कर रहा था। इसका 52 सप्ताह का उच्चतम स्तर ₹80.60 और न्यूनतम स्तर ₹46.15 रहा है। कंपनी की कुल बाजार पूंजीकरण लगभग ₹74,574 करोड़ थी। वर्तमान मूल्यांकन में एडजस्टेड P/E अनुपात लगभग 35.43x है।

महत्वपूर्ण ऑर्डर और सहयोग

Suzlon ने FY26 के लिए टाटा पावर रिन्यूएबल एनर्जी से 838 MW का बड़ा ऑर्डर प्राप्त किया, जो इस वित्तीय वर्ष का सबसे बड़ा ऑर्डर है। यह परियोजना कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में लगाई जाएगी। यह ऑर्डर टाटा पावर के साथ कंपनी का तीसरा बड़ा सौदा है, जो दोनों के बीच मजबूत सहयोग को दर्शाता है।

नीतिगत दृष्टिकोण

भारत सरकार ने 2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता के लक्ष्य के तहत पवन ऊर्जा को बढ़ावा देने पर जोर दिया है। इसके लिए आरपीओ ट्रैजेक्टरी, आईएसटीएस छूट और एमएनआरई टास्क फोर्स जैसी पहलें शुरू की गई हैं। ये पहल पवन ऊर्जा क्षेत्र के लिए बहुवर्षीय मांग का समर्थन करती हैं।

जोखिम और चुनौतियां

कुछ परियोजनाओं में ऑर्डर कैंसिलेशन या रिडक्शन के मामले सेक्टर-स्तरीय निष्पादन चुनौतियों को उजागर करते हैं। टैरिफ गतिशीलता, भूमि और ग्रिड उपलब्धता जैसे ढांचागत मुद्दे भी बने हुए हैं। इसके अलावा, वर्तमान में शेयर मूल्य में उच्च अस्थिरता देखी जा रही है, जो निवेशकों के लिए जोखिम बनाए रखती है।

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